Pregnancy (गर्भवती)न होने के कारण तथा उपचार

Pregnancy ( गर्भवती) न होने के कारण

                गर्भवती न होने के तीन कारण हो सकते हैं।
1. योनि में लिंग प्रवेश न हो पाना।
2. लिंग प्रवेश होने पर संभोग उपरांत शुक्राणु गर्भाशय ग्रीवा की मार्ग में  होकर गर्भाशय में पहुंचने में बाधा और असमर्थता।
3.लिंग प्रवेश में बाधा या असमर्थता ।
                   इसमेंं स्त्री पुरुष दोनो में कुछ ना कुछ दोष  हो सकता है।
                पत्नी संबंधी विकार --

 1.    hymen या योनि छिद्र  अत्यंत सख्त  या उसका rupture ना हुआ हो। प्रथम सहवास में योनिच्छद या hymen फट जाता है ।
2.सपीड़ा योनी संकोच- संभोग के समय अंदर में योनि इतनी संकुचित हो जाती है कि लिंग प्रवेश में परेशानी होती है।
 3. पहले कभी हुए जख्म आदि के कारण वहां स्कार scar  या योनि छिद्र गुहा अत्यंत छोटी हो जाती है ।यह चोट, व्रण पहले कभी बच्चा होते समय व्रण होने या शल्य कर्म के उपरांत हो सकता है ।
 4 .योनि से निकलने वाला स्त्राव ज्यादा acidic होने के कारण शुक्राणु गर्भाशय मे प्रवेश के पहले ही मर जाते हैं।
5. कभी-कभी पत्नी  को संभोग से संवेदना या पीड़ा इतनी होती है कि स्वयं संभोग से विरत रहना संतान की प्राप्ति से ज्याद ही अच्छाा समझती है। (गर्भाशय में पीड़ा योनि शोथ trichomoniasis or  candida इंफेक्शन से भी होती है ।)
                   पति में विकार-
     1.मनोदशा जन्य लिंग हर्षित ना होना ।शुक्र स्खलन लिंग हर्ष छुए बिना संभव है ,परन्तु संभोग लिंग हर्षित हुए बिना कदापि नहीं हो सकता ।
2.नाड़ीयो कि कमर की नाड़ियों में सुप्तता जैसे paralysis आदि के कारण लिंग हर्षित न होने से योनि में लिंग प्रवेश नहीं कर पाएगा ।
3 .शुक्राणु की कमी
4.नपुंसकता
          गर्भाशय ग्रीवा मेंं शुक्र  प्रवेश ना कर सके-
 पत्नी में -

1.गर्भाशय ग्रीवा के मुख मेंं  अर्बुद या रोग जन्य शोथ विकार अथवा उसका छिद्र सूची मुकेश अमान बहुत छोटा होता है।
 2.गर्भाशय में ऐसा दूषित स्त्राव जो अत्यम्ल हो जिसके कारण शुक्राणु की मृत्यु हो जाए वह और अंदर जा न सके ।
3. जन्मजात ऐसे विकार की जिसके कारण अत्यल्प मात्रा में ही शुक्र अंदर जा सके।
           पति में -

1.लिंग मे ही मुत्र नलिका का द्वार  लिंग मुंड  के अग्र भाग में होने के, लिंग मुल में या बीच वहीं से मूत्र तथा शुक्र का क्षरण हो इसे मॉडर्न में hypospadias कहते हैं। इसका ऑपरेशन बैटरी सर्जन के द्वारा किया जाता है यह ऑपरेशन दो स्टेज में या दो स्तर में होता है।
2. संभोग के समय शुक्र बजाए मुत्र नलीका के अग्र छिद्र से निकलकर योनि में गिरने के  उल्टा लौटकर ,मूत्राशय  मे चला जाए । इसे retrograte ejaculationकहते हैं।
3.स्खलन का.ही अभाव ejaculatory impotence
  इस प्रकार उपरोक्त सब कारण pregnancy या गर्भवती ना होने के कारण है।
             पहले कारण की को जानकर चिकित्सा करना बहुत जरूरी है  उपरोक्त कारणों को  ठीक करके । गर्भ स्थापन की चिकित्सा करनी चाहिए।
          pregnancy या गर्भस्थापन के लिए उपचार
1.सर्वप्रथम मासिक धर्म या menstrual cycle  संबंधी कोई विकृति हो तो उसे दूर करना जरुरी है ।
2.अगर प्रदर रोग हो श्वेत प्रदर या रक्त प्रदर हो तो उसका उपचार पहले ज़रूरी है ।
3.फिर गर्भ स्थापनार्थ औषधि का व्यव्हार करना चाहिए ।
गर्भ स्थापन चिकित्सा-
 यह चिकित्सा मासिक धर्म या menstrual cycle होने के पश्चात  कथा  जब तक पुनः  मासिक धर्म प्रारंभ ना हो तब तक यह चिकित्सा करनी चाहिए ।
औषध पत्र
     1.कामिनी कुल मंडल रस          दो गोली       2.संगजराहत भस्म                 250 mg       3.प्रवाल पिष्टी                       125 mg            इन तीनों वस्तुओं को पीसकर एक मात्रा बनाएं और एक मात्रा   सुबह भोजन से पूर्व तथा एक मात्रा सायंकाल भोजन से 2 घंटे पूर्व शरबत पलाश में मिलाकर चटावे ।
       भोजन की बाद अशोकारिष्ट 15 ml बराबर जल मिला कर दे ।
        रात्रि को पलाश पत्र साधित गो दुग्ध में एक तोला या 5 ग्राम फल घृत मिलाकर पिलावे ।
     इस प्रयोग से 1 से 2 महीने में ही  आपको फायदा मिलेगा  अर्थात  गर्भस्थापन या प्रेगनेंसी होगी ।

 पलाश पत्र साधित दुग्ध बनाने की विधि 
    ढाक या पलाश का एक हरा और कोमल पत्ता लेकर उसे 5-7 छोटे-छोटे टुकड़े करके पाव भर वह दूध और पाव भर जल मिलाकर उसमें डाल दें ,और फिर आग पर पकाएं जब दुग्ध मात्र शेष रह जावे तब उतार कर छान लें और मिश्री मिलाकर पिला वे यदि नित्य प्रति पलाश पत्र ना मिले तो छाया में सुखा ई हुए पलाश पत्रों के चूर्ण को तीन माशा या 15 ग्राम की मात्रा में को दूध में मिलाकर और अटावे।    लेकिन जितना शीघ्र लाभ हरे पत्ते को मिलाकर  होता है। उतना चुर्ण से  नहीं होता।
           यह चिकित्सा जब तक मासिक धर्म प्रारंभ नहीं होता तब तक निरंतर चलनी चाहिए जैसे ही मासिक धर्म प्रारंभ हो जाए निम्नलिखित प्रयोग प्रारंभ करें पलाश के कोमल पत्र को लेकर खूब बारीकी से पीसे और आवश्यकतानुसार गाय के दूध देते जाए तो गाय के दूध से मिला दे और  गाय का कच्चा दूध पीने  दे।

        इस प्रयोग के द्वारा निश्चित ही गर्भ स्थापन होगा और जिसे बार बार गर्भपात में  हो रहा हो।उसमें भी या पलाश पत्र साधित  दूध का सेवन करना चाहिए।
       यह  प्रकार सभी Pregnancy (गर्भवती)न होने के कारण तथा उपचार का वर्णन है।

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