कृमि(krimi) के कारण, लक्षण, तथा आयुर्वेदिक इलाज

     
              कृमि एक प्रकार का आंत्रिक कीडा है।जो आंत्र मे रहता है और उस व्यक्ति के खाने से पोषण ग्रहण करते हुए बढता है।यह सभी को होता है, विशेषता यह छोटे बच्चों को होता है। यह ज्यादातर आंंत्र मे रहता है और वह उस व्यक्ति के खाने से न्यूट्रिशन या पोषण प्राप्त करता है। धीरे-धीरे वह व्यक्ति कमजोर होता है और दर्द का अनुभव करता है कमजोरी मतलब ज्यादातर खून की कमी या हीमोग्लोबिन कम हो जाता है।



     कृृमि या worm के प्रकार
1.Tape worm(फीता कृमि)
2.Round worm( गोल कृमि)
3.Pin worm/Thread worm
4.Hook worm
 1.  Tape worm/फीता कृमि-   
        ये कृमि अपनी त्वचा से ही अपना पोषण ग्रहण करते है।बच्चे मे यह ज्यादातर संक्रमित खाद्य का सेवन करने से होता है।
2.  Round worms/गोल कृमि- 
          यह Ascariasis lumbricoids से होता है। यह ज्यादातर पानी ,मिट्टी और पालतू जानवरों से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और यह गोल कृमि हमारे रक्तस्राव से होता हुआ फुफ्फुस या lungs में पहुंच जाता है।

     3.Pin worm/thread worm/धागा कृमि-
    यह कृमि छोटे और पतले होते हैं। यह rectum या गुद मार्ग में रहते हैं। इसके female कृमि, Anus या गुद के चारों ओर अंडे देते हैं। इस कृमि के अंडे कपड़े ,बेड और अन्य किसी जगह पर भी रहते हैं। किसी के स्पर्श करने या श्वास मार्ग के द्वारा अन्य की अन्य के शरीर में चले जाते हैं। यह संक्रमण बच्चों में बहुत सामान्य है।
           4.Hook worm- 
      यह कृमि गंदी जगह पर पाए जाते हैं और यह आंत्र की दीवाल में पाए जाते हैं तथा मिट्टी में पाए जाते हैं। इससे वह अपने रक्त स्त्रोत में चला जाता है
      कृमि के लक्षण/Symptoms-
      1.spitting/थूकना- कभी-कभी बच्चे बार-बार थूकना शुरू करते हैं क्योंकि यह क सलाइवा या मुंह की लार में बढ़ते हैं
     2. फाउल स्मेलिंग पुरिष या स्टूल से गंदी गंध आना, इससे यह जानना चाहिए कि कृमि का संक्रमण पेट में हुआ है ।और वह गूद मार्ग से निकल रहे हैं।
   3.Abdominal Pain/ पेट में दर्द -  आंत्र मे  रहने वाले कृमि के लक्षण है ।यह कृमि आंत्र के पोषक तत्व ग्रहण करता है।
    4. अच्छे से नींद का ना आना -इसमें गूूूद में खुजली, पेट में दर्द और बेचैनी  यह लक्षण होते हैं ।इसके कारण रात में अच्छे से नींद नहीं आती।
 कारण-
    1.अगर किसी संक्रमित चीज या वस्तु के संपर्क में आए तो
    2. संक्रमित खाद्य या पानी से
    3.साफ सफाई न रखने के कारण
    4. कच्चे सब्जियों को या आधा पका खाना खाने से
    5 .हाथों को बिना धोए खाना खाने से              6.संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से
           कृमि का आयुर्वेदिक इलाज-
   
  1- अजवाइन कृमि नाशक मे अति उत्तम औषधि है ।केवल अजवाइन का चूर्ण मट्ठा के साथ देने से कृमि नष्ट हो जाता है या अजवायन सत्व 1 से 4 रति या 125mg से 500 mg की मात्रा में खाली पेट मे एक 1-1 घंटे में तीन बार देने के बाद मामूली शौच से सारे कृमि निकल जाते हैं।
       2- कच्चे आम की गुठली का चूर्ण दो से चार  रत्ती250 से 500mg तक दहि या तक्र के साथ सुबह-शाम सेवन कराने से कृमि नष्ट हो जाती है
       3- पलाश बीज-  पलाश के बीच कृमि नाशक की एक अति उत्तम औषधि है एलोपैथिक सैंटोनिन से भी अधिक उपयोगी है इसके कुछ योग
       4- यदि गोल कृमि हो तो पलाश के बीज आग पर थोड़ा सेक कर 250 ग्राम लेकर इसमें कबीला, इंद्रजो, अजमोद ,वायविडंग 25-25 ग्राम भूनी हींग 6 ग्राम  ।सबको खूब महीन चूर्ण कर नीम पत्र स्वरस ,अजमोद तथा वायविडंग क्वाथ की भावना देकर सुखाकर रखले।250 mg दिन में तीन बार जल के साथ देने से सर्व प्रकार के उदर कृमि नष्ट हो जाते हैं और बच्चों की मात्रा कम देनी चाहिए।
       5- पलाश के बीज तथा वायविडंग का समभाग चुर्ण 3 ग्राम लेकर उसमें नींबू रस 3  ग्राम लेकर शहद के साथ देने से कृमि नष्ट हो जाते हैं।
      6- तुलसी के 11 पत्ते को वायविडंग 1 ग्राम के साथ पीस कर दो गोलियां बना लें प्रातः और सायं एक-एक गोली ताजे जल से 5 दिन तक देने से कृमि नष्ट हो जाते हैं।यह योग बच्चे के लिए विशेष हितकर है, और यह बड़ों को भी लाभ करती है।
7- बहुत छोटे बच्चों के लिए  60 mg तक एलुआ मां के दूध के साथ घिसकर रोज चटाने से कुछ दिनों में छोटे बच्चों के कृमि रोग नष्ट हो जाते हैं।
8- कृमि हर योग- कबीला, वायविडंग ,नागर मोथा ,डिक माली, काला नमक, इन पांचों को संभाग मिलाकर चूर्ण करें 2-2 ग्राम भोजन से पहले गुनगुने जल के साथ दिन में दोनों समय देते रहने से उदर के कृमि नष्ट हो जाते हैं।
       कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक पेटेंट योग
 1. क्रोमी निल सिरप/Cruminil syrup --(चरक फार्मा)

 2. पिपराजीन सीरप/piperazine syrup
  (डाबर फार्मा)
 3. कृमिहर सीरप       ( वैद्यनाथ फार्मा)
 4.कृमिघ्न tablet      (डाबर फार्मा)
  5. कृमि कुठार रस (रसकल्प) धुतपापेश्वर फार्मा
 6.krumina tablet(शार्गंधर फार्मा)...Etc..
      ये सारे कृमि के पेटेन्ट योग है।
               इस प्रकार कृमि(worm) के कारण,लक्षण तथा आयुर्वेदिक इलाज का वर्णन किया गया है।

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