Sciatica( साइटिका,गृध्रसी)का कारण तथा इलाज

                         गृध्रसी या साइटिका -

           यह  एक nerve या तंत्रिक से संबंधित रोग है ।यह  nerve रीढ़ की हड्डी से शुरू होती है और कुल्हे और नितंबों के माध्यम से चलती हुई दोनों पैर में दो शाखाएं हो जाती है। जब इस nerve में चोट लगती है ,या कभी  कुल्हे की हड्डियों द्वारा दबती है, तो अत्यंत पीड़ा की अनुभूति होती है ,यह पीड़ा नितंब से होती हुई जंघा के बाहरी भाग से होती हुई नीचे पैर की उंगलियों तक होती है ।यह दर्द बहुत असहनीय होता है कभी-कभी यह दर्द अचानक होता है ज्यादातर ज्यादा चलने या सीढ़ी चढ़ने की वजह से यह होता है और वजन बढना भी एक मुख्य कारण है ।इसमें ऐसा लगता है कि पैरों की शक्ति खत्म हो गई और कभी कभी सुन्नता का अनुभव होता है ।कभी इस में सुई चुभने जैसी या प्रिकिंग टाइप ऑफ पेन होता है ।
परहेज -
       1.अधिक  दर्द के समय काम ना करें और आराम करें
        2. ऊंची एड़ी की चप्पल न पहने।
        3. ज्यादा समय पानी में ना रहे
         4.आगे झुकने से बचें
       5.कोई भारी सामान न उठाए
      6.   बहुत ज्यादा सीढी या पैर से रिलेटेड जैसे सिलाई मशीन के काम न करें
       चिकित्सा -
       1.      सबसे पहले अगर वजन ज्यादा हो तो अपने शरीर का वजन कम करें
       2.संभव हो तो दिनचर्या में बदलाव लाएं और सुबह उठकर मॉर्निंग वॉक करें संभवतःबिना चप्पल के
.      3. मुख्यतः पैरों व्यायाम करें तथा योगाभ्यास करें
       4.बार-बार सीढ़ी चढ़ने  से बचें ।

     Sciatica( साइटिका,गृध्रसी)का इलाज   

   1..  शेफालिका या हरसिंगार के पत्तों का क्वाथ मंद मंद अग्नि पर पकाकर इसका क्वाथ बना कर इसे पिलाते रहने से साइटिका रोग नष्ट हो जाता है।  इसके क्वाथ पीने से 1 से 2 माह में sciatica(साइटिका, गृध्रसी) बिल्कुल ठीक हो जाता है ।
    विधि 
                  1 किलो शेफालिका के  या हारसिंगार के पत्ते ,1 किलो पानी में औटावे, जब एक तिहाई पानी  बस जाए तब उतारकर रस निचोड़ कर बोतल में रखें ।उसमें से 20-20  दो से तीन बार रोगी को पिलाएं जब क्वाथ समाप्त हो जाए तो दोबारा बना ले ।इसके नियमित कुछ दिनों तक के प्रयोग से sciatica(साइटिका, गृध्रसी )का शूल पूरी तरह ठीक हो जाता है ।
2रामबांंस  -
       
रामबास नामक औषधि मध्य प्रदेश में ग्रामीण अंचलों में पाई जाती है । इसके तलवार की समान चौड़े,लंबे तथा काटेदार पत्र होते हैं । इस रामबास के कटीले पत्र पांच की संख्या में लेकर उन्हें कूटकर उन का रस निकालने के बराबर  सरसों का तेल मिलाकर आग पर एक से दो उबाल आने दे ।दो उबाल आने के बाद आग से उतारकर बर्तन में रामबांंण युक्त तेल को ठंडा हो जाने पर 3 ग्राम देशी कपूर मिलाकर रख दे।यह रामबांंण  का कपूर  युक्त  तेल तैयार हो जाएगा ।इसकी मालिश करने से  साइटिका में विशेष लाभ होता है  ।
        अन्य औषध प्रयोग-
       महायोगराज गुग्गुल  80 gm,भुनि हींंग 2 ग्राम  ,कवच निकाली हुई एरण्ड की बीज  20 ग्राम । सभी को मिलाकर रास्नादि क्वाथ में 6 घंटे तक खरल करें और 125 mg  की गोली  बनाले। मात्रा  - एक से चार गोली  सुबह व शाम गुनगुने जल के साथ देना चाहिए ।इससे sciatica(साइटिका, गृध्रसी ) मे विशेष लाभ होता है।
   sciatica(साइटिका, गृध्रसी ) में स्वेदन का विशेष लाभ -
       निर्गुंडी  या संभालु  के ताजे तथा  अरंड  बीज समान भाग लेकर यवकूट करें फिर तवे पर 60ml महाविषगर्भ तेल गर्म करें  और उक्त  द्रव्यों के चूर्ण डालकर भर्जन करें ।तत्पश्चात वस्त्र के  दो टुकड़ों में बांधकर दो पोटली बना ले।  रोगी को अधोमुख या उल्टा लिटा दे तथा महाविषगर्भ तेल गरम करके उसमें पोटली डुबोकर आक्रांत  जानू, जंघा, पृष्ठ पर सेक करें और साथ ही साथ अभ्यंग करते रहे ।जब पोटली ठंडी हो जाए तो ,दूसरी पोटली से सेक करें ,ऐसा 2 घंटे तक अभ्यंग करें ।
           इस स्वेदन से साइटिका या गृध्रसी में बहुत लाभ मिलता है।

            कुछ आयुर्वेदिक पेटेंट योग
1.R Compound -Alarcin pharma


2.Rumalaya Tablet-Himalaya pharma

3.Rumalaya oil...etc

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