नपुंसकता या impotency क्या है ?और इसे दूर करने केअचूक उपाय

      नपुंसकता या impotency        
     
आज की भागती -दौड़ती जिंदगी मे बढ़ते तनाव तथा मोबाइल, कंप्यूटर ऐसी आधुनिक जीवन शैली के कारण नपुंसकता या इंपोटेंसी बहुतायत में देखी जाती है । जिस प्रकार जीवन में आहार और निद्रा की जरूरत है उसी प्रकार विवाहित जीवन को सफल बनाने के लिए सेक्स की जरूरत है ।विवाह के उपरांत सेक्स के संबंध बनाकर विवाहित जीवन को सफल बनाने बनाने यह बहुत जरूरी है।जिससे आंतरिक शांति(मानसिक तथा शारीरिक दोनों की शांति )कीअनुभूति होती है ।लेकिन कई बार ऐसा वक्त आता है कि बहुत से कारणों से हम अपने पार्टनर को खुश नहीं कर पाते, इसके बहुत से कारण हो सकते हैं। विविध प्रकार की चिंता जरा या वृद्धावस्था, रोग ,व्यायाम आदि कर्म या पंचकर्म अनशन तथा श्त्री संभोग इनका काफी मात्रा में उपयोग करने से शुक्र या वीर्य का क्षय होता है ,तथा संभोग की क्रिया में सफल नहीं हो सकते,कभी-कभी ऐसा होता है ।कि अगर संबंध बनाने की क्रिया में सफल हो भी जाए तो संतान उत्पन्न करने में असफल होता है ।
कारण 
                 

इसके कारणों को हम दो भाग में विभाजित कर सकते हैं
1. शारीरिक
2.मानसिक ।
                 शारीरिक कारण
       1.शरीर में किसी प्रकार की चोट।
       2. उच्च रक्तचाप
       3.धूम्रपान ,मदिरापान
       4.शुक्राणु की कमी
       5.हार्मोन के असंतुलन से
       6.अधिक मात्रा में स्त्री संभोग
       मानसिक कारण 
       1.बढ़ते तनाव प्रदूषण और अन्य मानसिक कारण जैसे डिप्रेशन या विषाद (वर्णन पहले blog मे किया गया है) इन कारणों से यह रोग हो सकता है ।सबसे महत्वपूर्ण यह मोबाइल और कंप्यूटर का ज्यादा उपयोग ।
लक्षण 
       1.वीर्य का पतला या गाढा होना 2.शीघ्रपतन  होना
        3. संतान पैदा करने में असफल रहना                     आजकल इसके लिए पैथोलॉजी लैब में semen analysis के test होते हैं ।जिससे शुक्राणु कितने परिमाण में है और शुक्राणु या लाइफ sperm कितने है या पता चलता है ।
चिकित्सा
चिकित्सा इसके लिए आयुर्वेद में बाजीकरण चिकित्सा का वर्णन किया गया है बाजी का अर्थ घोड़ा है ।जिस औषध,आहार एवं बिहार के द्वारा वीर्य हीन मनुष्य स्त्रियों के साथ अश्व केे समान संभोग करने की शक्ति प्राप्त कर ले उसे वाजीकरण कहते हैं  अथवा जिसके द्वारा वीर्य की अधिक वृद्धि होती है उसे बाजीकरण कहते हैं  ।
 सबसे पहले नपुंसकता के कारण को जानकर उसका निराकरण या परिवर्जन करना बहुत जरूरी है।
 मानसिक चिकित्सा 
      अनेक प्रकार के विचित्र भोजन विविध प्रकार के पीने के पदार्थ ,गाना ,कर्ण प्रिय ,मधुर वचन ,त्वचा को प्रिय लगने वाले वस्त्र स्पर्श ,आभूषण आदि चंद्रमा युक्त रात्रि, कर्ण और मन को प्रिय लगने वाले गाने आदि तथा पान सुगंधित द्रव्य ,सुंदर मनोहर, सुंदर लगने वाले स्थान, मन को प्रसन्न करने वाले कर्म करके संभोग करना चाहिए ।
शारीरिक चिकित्सा  - 
        आहार -
 मधुर तथा लघु ,सूपाच्य ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए ।
       1. रोज चूने को एक गहूं के बराबर की मात्रा में घृत या गन्ने के रस के साथ दे।
       2.लवंग के तेल की एक बूंद रोज गरम पानी के साथ ले।
  3. उड़द की दाल को प्रथम घृत में भून कर दूध में अच्छी तरह पकाकर खीर बनाकर शक्कर मिलाकर सदा सेवन करने से वीर्य में वृद्धि होती हैं (दूध से केवल , देशी गाय का दूध ही समझें )यह उत्तम वृष्य योग है।
   4. पुराने शाल्मली की जड़ के स्वरस या क्वाथ कर  शक्कर मिलाकर 1 सप्ताह तक पीने से शुक्र की अधिक वृद्धि होती है।
    5. मुलेठी या मीठी लकड़ी के 5 ग्राम चूर्ण को मधु तथा घृत दोनों विषम मात्रा में लेकर चाटने से तथा उसके बाद शक्कर युक्त दुग्ध पान करने से वीर्य में वृद्धि होती है ।
     अपथ्य आहार -
अत्यंत उष्ण,कटु,तिक्त, अम्ल तथा अधिक लवण युक्त पदार्थों का सेवन ना करे। 
औषध -
1.सिद्ध मकरध्वज वटी- 
यह स्वर्ण युक्त रहती है इसलिए थोड़ी महंगी है पर 100%  कारगर है ।इसे वृद्ध पुरुष भी तरुण पुरुष की बराबरी करता है हुआ स्त्त्रि संभोग करने लगता है ।ऐसा वर्णन है कि पहले राजा महाराजा सैकड़ों स्त्रियों के साथ भोग करते थे ।वे भी इस वटी का सेवन करते थे। इस वटी का सेवन रात में एक बार  भोजन के उपरांत, शक्कर युक्त दूध के साथ सेवन करने से  शुक्र  बढ़ता है। नपुंसक रोग दूर होता है ।2.अश्वगंधारिष्ट या अश्वगंधा अवलेह का सेवन करना चाहिए । 
   इस प्रकार हम नपुंसकता को  दूर कर सकते हैं सिद्ध मकरध्वज वटी ना मिले तो मकरध्वज वटी का सेवन सुबह शाम दूध के साथ करें पर सिद्ध मकरध्वज से नपुंसकता में जल्दी आराम मिलता है

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